
मुख्य समाचार:
जबलपुर जिले के सिविल लाइन्स स्थित हेड पोस्ट ऑफिस में 15 जनवरी 2025 को एक गंभीर घटना सामने आई, जिसमें वरिष्ठ पोस्ट मास्टर मंगल पाटिल और उनके सहयोगी कर्मचारियों मोहम्मद मजहर और अतुल पर मारपीट, लूटपाट, जातिसूचक अपमान और धमकी देने का आरोप लगाया गया है। पीड़ित ने इस मामले में केंद्रीय संचार मंत्री, राज्य मंत्री, और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को लिखित शिकायत दी है।
घटना का विवरण:
पीड़ित, जो स्थानीय निवासी और एक प्रमुख सामाजिक संगठन के प्रतिनिधि हैं, अपने 10 पार्सल पोस्ट कराने के लिए हेड पोस्ट ऑफिस पहुंचे थे। वहां पर काउंटर पर बैठी महिला कर्मचारी ने अभद्र भाषा में बात करते हुए सेवा देने से इनकार कर दिया। जब पीड़ित ने निवेदन किया, तो वरिष्ठ पोस्ट मास्टर मंगल पाटिल को बुलाया गया।
मंगल पाटिल ने कथित तौर पर पीड़ित के साथ अभद्र व्यवहार किया और कहा, “यहां नौटंकी नहीं चलेगी, कहीं और से पोस्ट कर।” इसके बाद, उन्होंने पीड़ित की कॉलर पकड़कर उन्हें जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया। उन्होंने कहा, “तुम SC/ST के लोग हमेशा छोटी सोच के हो।”
लूट और हिंसा के आरोप:
पीड़ित का आरोप है कि विरोध करने पर मंगल पाटिल, मोहम्मद मजहर, और अतुल ने उन्हें धक्का देकर पोस्ट ऑफिस से बाहर निकाल दिया। इस दौरान उनका मोबाइल और पर्स छीन लिया गया, जिसमें ₹2,700 नकद थे। बाद में, जब मोबाइल लौटाया गया, तो उसमें से गोपनीय जानकारी चुराने और झूठे बयान पर हस्ताक्षर कराने की कोशिश की गई।
प्रमाण और गवाह:
- घटना के समय की तस्वीरें।
- वरिष्ठ पोस्ट मास्टर की लिखित स्वीकारोक्ति।
- पोस्ट ऑफिस में मौजूद ग्राहकों और अधिवक्ताओं की गवाही।
- इंडिया पोस्ट हेल्पलाइन पर दर्ज शिकायत।
कानूनी कार्रवाई की मांग:
पीड़ित ने निम्नलिखित धाराओं के तहत कानूनी प्रकरण दर्ज करने की मांग की है:
- अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989: धारा 3(1)(r) और 3(1)(s)।
- भारतीय दंड संहिता: धारा 504, 506, 392, 379, 323, 341, 166, 167, 34, 120B।
प्रशासन से अपील:
पीड़ित ने वरिष्ठ पोस्ट मास्टर मंगल पाटिल, मोहम्मद मजहर, और अतुल के तत्काल निलंबन और कानूनी कार्रवाई की मांग की है। साथ ही, उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच की अपील की है।
स्थानीय प्रतिक्रिया:
घटना के बाद स्थानीय समुदाय और सामाजिक संगठनों में भारी आक्रोश है। अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों ने इस मामले को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और न्याय की मांग की है।
प्रशासन और समाज का रुख:
इस गंभीर घटना ने सरकारी कार्यालयों में अनुशासन और संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल सरकारी तंत्र की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि समाज के कमजोर वर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार की ओर भी ध्यान आकर्षित करता है।
निष्कर्ष:
पीड़ित ने केंद्रीय मंत्रियों, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, और स्थानीय पुलिस को इस घटना की शिकायत करते हुए सख्त कदम उठाने की मांग की है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है।
जबलपुर से विशेष रिपोर्ट।